तिरछी टोपी वाले वाक्य
उच्चारण: [ tirechhi topi vaal ]
उदाहरण वाक्य
- ' त्रिदेव ' के गाने ' तिरछी टोपी वाले ' की धुन भी ग्लोरिया इस्टेफेन न के गाने ' इज गौन्ना यट यू ' की धुन से मेल खाती थी।
- उनके विभिन्न गीत सुनवाए-व्यावसायिक फिल्म त्रिदेव से तिरछी टोपी वाले गीत, बाजार फिल्म की गजल करोगे याद तो हर बात याद आएगी, सरफरोश, इजाजत, मासूम फिल्मो के गीत सुनवाए गए।
- उनके विभिन्न गीत सुनवाए-व्यावसायिक फिल्म त्रिदेव से तिरछी टोपी वाले गीत, बाजार फिल्म की गजल करोगे याद तो हर बात याद आएगी, सरफरोश, इजाजत, मासूम फिल्मो के गीत सुनवाए गए।
- शुरूवात की उनकी पहली फिल्म बेताब के गीत से, इसके बाद सोहनी महिवाल फिल्मो के रोमांटिक गीतों के साथ त्रिदेव का तिरछी टोपी वाले गीत, शरारती गीत भी शामिल थे-चालबाज फिल्म से और यह गीत-
- शुरूवात की उनकी पहली फिल्म बेताब के गीत से, इसके बाद सोहनी महिवाल फिल्मो के रोमांटिक गीतों के साथ त्रिदेव का तिरछी टोपी वाले गीत, शरारती गीत भी शामिल थे-चालबाज फिल्म से और यह गीत-मैं निकला गड्डी लेके एक मोड़ आयागानों के चुनाव में अच्छी विविधता रही।
- स्नेहल (वासुदेव) भाटकर के सहायक के रूप में उन्होंने स्वतंत्र रूप में कम्पोज किया था, जो स्नेहल भाटकर के संगीत के रूपमें ही जाना गया है, जैसे की फिल्म त्रिदेव का गाना तिरछी टोपी वाले विजय शाह की बजाय कल्याणजी आनंदजी के संगीत के रूपमें ही जाना गया है ।
- स्नेहल (वासुदेव) भाटकर के सहायक के रूप में उन्होंने स्वतंत्र रूप में कम्पोज किया था, जो स्नेहल भाटकर के संगीत के रूपमें ही जाना गया है, जैसे की फिल्म त्रिदेव का गाना तिरछी टोपी वाले विजय शाह की बजाय कल्याणजी आनंदजी के संगीत के रूपमें ही जाना गया है ।
- प्रख्यात सूफी कवि अमीर खुसरो ने भी अपने गुरू निज़ामुद्दीन औलिया के प्रति ऐसे ही विचार व्यक्त किए थे-' मैं अपना किबला ' (मक्के का वह पवित्र स्थान जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं) तिरछी टोपी वाले (हज़रत निजामुदीन औलिया तिरछी टोपी पहनते थे) की ओर सीधा कर लेता हूँ.
- अपने हीरो के लिये कुछ भी करना जैसे गजनी स्टाइल, कोई गाना अच्छा लगा तो बस उस पर प्रयोग आरंभ हो जाते है, जैसे तिरछी टोपी वाले, तो बस टोपी का स्टाइल, मेरा एक दोस्त फिल्मी दोस्त उसने गाना सुना हाथो मे आ गया जो कल रुमाल आपका तो बस क्या था, | 4-6 रुमाल खरीद हाथो मे पकड़े रहना, गले मे लपेट बांधना तथा कलाई मे लपेटना, |
- इस गीत की कुछ पंक्तियां हैं, ” रोटी नाम सत है, खाए से मुगत है, ऐरावत पर इंदर बैठे बांट रहे टोपियां, झोलियां फैलाए लोग, भूल रहे सोटियां, वायदों की चूसनी से छाले पड़ जीभ पर, रसोई में लाव लाव भैरवी बजत है, बोले खाली पेट की करोड़ों करोड़ कूंडियां, तिरछी टोपी वाले भोपे भरे हैं बंदूकियां, भूख के धरमराज यही तेरा व्रत है, रोटी नाम सत है कि खाए से मुगत है।
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